DBT बनी नेत्रहीन संजू की बेड़ियां, न उज्ज्वला, न पेंशन, दो बच्चों संग जंग जैसी ज़िंदगी
त्रिवेदीगंज ब्लॉक की महिला की दुर्दशा देख X पर उठी न्याय की पुकार
बाराबंकी। "जहां हर योजना का दावा होता है डिजिटल पारदर्शिता का, वहीं एक नेत्रहीन महिला की जिंदगी DBT की भूलभुलैया में उलझी हुई है।"
यह कहानी है त्रिवेदीगंज ब्लॉक के पूरे पंडित मजरा, ग्राम ख्वाजापुर की निवासी संजू देवी पत्नी सुनील त्रिवेदी की, जो नेत्रहीन हैं और अत्यंत गरीब ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। करीब एक साल से उन्हें दिव्यांग पेंशन की एक भी किस्त नहीं मिली है।
जब भी वे विकास भवन बाराबंकी जाती हैं, अधिकारियों की ओर से एक ही जवाब मिलता है –"DBT में समस्या है, इसलिए भुगतान नहीं हो पाया।"
DBT यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर—जिससे योजनाओं का पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में जाना चाहिए, वही अब एक गरीब महिला के लिए सबसे बड़ी बाधा बन गई है।
पोस्ट ऑफिस में नया खाता खुलवाया, फिर भी पैसा नहीं आया। संजू देवी ने DBT सुधार के लिए अपने स्तर पर हर मुमकिन कोशिश की, परंतु अब तक न राशनकार्ड बना, न उज्ज्वला योजना का लाभ मिला और न ही घर में बिजली की सुविधा है।
पति मंदबुद्धि हैं, दो छोटे बच्चों के साथ संजू देवी बदहाली में जिंदगी काट रही हैं।
इस पूरी पीड़ा को एक सामाजिक कार्यकर्ता ने X सोशल साइट पर जिलाधिकारी बाराबंकी को टैग करते हुए उजागर किया है। ट्वीट में निवेदन किया गया कि
"कम से कम नेत्रहीन महिला को उसकी पेंशन और बुनियादी योजनाओं का हक तो मिले।"
DBT के नाम पर डिजिटल इंडिया की तस्वीर में दरार
DBT की मूल भावना थी—बिचौलियों से मुक्ति और पारदर्शी भुगतान।
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जिलाधिकारी बाराबंकी को X माइक्रोसॉफ्ट पर भेजे गए संदेश का स्क्रीनशॉट |
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