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आपातकाल की 50वीं बरसी पर बोले उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक—‘जनविरोधी मानसिकता का प्रतीक था काला दिवस’

प्रेस वार्ता करते डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक








आपातकाल की 50वीं बरसी पर बोले उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक—‘जनविरोधी मानसिकता का प्रतीक था काला दिवस’

मेयो इंस्टीट्यूट बाराबंकी में आयोजित प्रेस वार्ता में उठाया कांग्रेस पर सवाल, जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में कहा—लोकतंत्र को कुचलने की थी साजिश

बाराबंकी। देश में लगाए गए आपातकाल (Emergency) की 50वीं वर्षगांठ पर बुधवार को उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने प्रेस वार्ता कर इसे भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा लगाया गया आपातकाल न केवल संविधान का अपमान था, बल्कि यह आम जनता की आवाज को कुचलने की एक सुनियोजित साजिश थी।

प्रेस वार्ता मेयो इंस्टीट्यूट, निकट सफेदाबाद बाराबंकी में आयोजित की गई थी। इस दौरान प्रदेश सरकार में प्रभारी मंत्री सुरेश राही, भाजपा जिलाध्यक्ष अरविंद मौर्य, विजय आनंद बाजपेई समेत जिले के अन्य प्रमुख जनप्रतिनिधि एवं कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।

उप मुख्यमंत्री ने क्या कहा:

ब्रजेश पाठक ने कहा, "आज से 50 वर्ष पूर्व 1975 में जो कुछ हुआ, वह देश की आत्मा पर किया गया हमला था। सत्ता के लालच में लोकतंत्र को बंधक बनाया गया। हजारों निर्दोषों को बिना सुनवाई के जेलों में डाला गया, प्रेस की आजादी छीनी गई, न्यायपालिका पर दबाव डाला गया और संविधान के मूल स्वरूप से खिलवाड़ किया गया।"

उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी उस दौर को कभी नहीं भूल सकती, जब संघ, जनसंघ और विपक्षी दलों के नेताओं ने जेल में रहते हुए भी लोकतंत्र की लौ जलाए रखी।

युवाओं से अपील—सीखें इतिहास से

ब्रजेश पाठक ने युवाओं से आह्वान किया कि वे आपातकाल के दौर को जानें, समझें और सीखें, ताकि भविष्य में कोई सरकार या व्यक्ति लोकतंत्र को अपने निजी स्वार्थों के लिए कुचलने की हिम्मत न कर सके।

जनप्रतिनिधियों ने भी रखा विचार

इस दौरान प्रभारी मंत्री सुरेश राही और जिलाध्यक्ष अरविंद मौर्य ने भी आपातकाल को भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर गहरा आघात बताया। वक्ताओं ने इसे "कांग्रेस की निरंकुशता और तानाशाही मानसिकता" का उदाहरण बताया।

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