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नाबालिग मजदूर की दर्दनाक मौत

नाबालिग मजदूर की दर्दनाक मौत: रोज़ी-रोटी की तलाश में गया था शिवा, लौट आया अर्थी पर

आटा चक्की की पट्टी में फंसकर गई 15 साल के शिवा गौतम की जान, बेसहारा हुआ परिवार

बाराबंकी। कभी स्कूल की किताबें थामने वाले हाथ आज रोज़ी-रोटी के लिए मशीनों से जूझ रहे हैं। कुर्सी थाना क्षेत्र के मीननगर गांव में 15 वर्षीय शिवा गौतम की दर्दनाक मौत ने ऐसा ही मंजर सामने लाया, जहां गरीबी ने एक मासूम को वक्त से पहले मज़दूर बना दिया। रोज़ की तरह गुरुवार को भी शिवा सुबह जल्दी उठा, मां ने रोटियां दीं और पिता कैलाश ने उसे उम्मीद भरी नज़रों से आटा चक्की पर भेजा। लेकिन किसी को क्या पता था कि यह बेटा अब कभी घर लौटकर “पापा” नहीं कहेगा। शिवा रौनाहार निवासी मनोज यादव की चक्की में मजदूरी करता था। काम करते समय उसकी शर्ट की एक छोर पट्टे में फंस गई और पल भर में ही वह मौत की आगोश में चला गया। आसपास मौजूद लोगों ने इंजन बंद किया, लेकिन तब तक सब खत्म हो चुका था।

पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। हादसे के बाद चक्की मालिक फरार हो गया। थानाध्यक्ष अनिल कुमार सिंह ने बताया कि तहरीर के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

कमाई की उम्र नहीं, कमाने की मजबूरी थी

शिवा गौतम, घर का सबसे बड़ा बेटा था। उसकी मासूम हथेलियों में छाले थे—खेलने की नहीं, मेहनत की कहानियाँ थीं। पिता कैलाश मजदूरी से घर नहीं चला पाते थे, इसलिए बेटे को काम पर भेजना मजबूरी बन गया।

जिस बेटे से घर में रौशनी थी, आज उसी के जनाज़े ने घर को अंधेरे में डुबो दिया। मां की आंखें पथरा गईं, और पिता सिर्फ एक सवाल दोहरा रहे हैं—"क्या सिर्फ गरीब का बच्चा ही चक्की में पिसता है?"

शिवा की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, समाज के उस सिसकते सच की तस्वीर है, जहां बचपन मजदूरी में खो जाता है और इंसानियत सिर्फ खबरों में रह जाती है।

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