चला गया सादगी और सेवा का एक प्रतीक: अजमत अली उर्फ बब्बू शेख
जैदपुर ने खोया एक नेकदिल समाजसेवी, हर आंख नम, हर दिल उदास
बाराबंकी। कभी मोहल्ले के हर दुःखी चेहरे पर मुस्कान लौटाने वाले अजमत अली उर्फ बब्बू शेख अब इस दुनिया में नहीं रहे। बुधवार देर रात लखनऊ के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।
खबर फैलते ही जैदपुर से लेकर बाराबंकी तक हर गली, हर चौक, हर दिल में शोक की लहर दौड़ गई।
जिससे भी मिलें बब्बू "भाई" बनकर ही मिले...
बब्बू शेख का जीवन सादगी, विनम्रता और सेवा भावना की मिसाल रहा। उन्होंने जाति, मजहब और पार्टी की सीमाओं से ऊपर उठकर हर ज़रूरतमंद के लिए अपने दरवाज़े खुले रखे।
किसी को दवा चाहिए, किसी को मदद या किसी के घर कोई तकलीफ—बब्बू शेख बिना बुलाए सबसे पहले पहुंचने वालों में थे।
उनके निधन ने जैसे एक युग का अंत कर दिया।
तीन बेटियों के पिता बब्बू शेख अब पूरे जैदपुर क्षेत्र के दिलों में एक मूरत बनकर बस गए हैं।
हर तबके के लोग पहुंचे अंतिम दर्शन को
जैसे ही निधन की खबर फैली, पत्रकार, अधिवक्ता, व्यापारी, जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिकों का हुजूम उनके निवास पर उमड़ पड़ा।
हर कोई स्तब्ध था… कुछ शब्दों में दिल का दुःख बयां कर रहा था, तो कोई चुपचाप भीगी आंखों से उस शख्स को आखिरी बार देख रहा था जो ज़िंदगी भर सबके काम आता रहा।
श्रद्धांजलि देने पहुंचे सैकड़ों लोग
अब्दुल हलीम खान, अकील अब्बास, अबू दरदा, जफर मेडिकल, अबू उमैर अंसारी, सालिम खान, चांद खान, सभासद कासिम, उमेर, पत्रकार वसीम खान, मास्टर मोहम्मद अहमद सहित सैकड़ों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और परिवार को ढांढस बंधाया।
"बब्बू शेख जैसे लोग कम होते हैं, जो खामोशी से सबका भला करते हैं। अब वे नहीं हैं, लेकिन उनका नाम हर दिल में गूंजता रहेगा।"
— उमेर अंसारी की भावभीनी टिप्पणी
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