मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि स्व बेअन्त सिंह ने अपने अध्यक्ष कार्यकाल में एक भी दिन हड़ताल नहीं की, जिससे न्यायिक व्यवस्था निरंतर सुचारू रूप से चलती रही। उन्होंने कहा, "हड़ताल से बचना और न्याय प्रणाली को पूरी क्षमता से चलाना हमारा परम कर्तव्य है।"
जनपद न्यायधीश प्रतिमा श्रीवास्तव ने कहा कि बेअन्त सिंह से युवा अधिवक्ताओं को यह सीख लेनी चाहिए कि सही समय पर बोलना और सही समय पर मौन रहना भी उतना ही आवश्यक है। वहीं, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुधा सिंह ने उनकी बहुआयामी प्रतिभा की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी जीवनशैली युवा पीढ़ी के लिए आदर्श है।
स्व बेअन्त सिंह न केवल लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के महामंत्री और अध्यक्ष रहे, बल्कि बाराबंकी जिला बार के अध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने पांच वर्षों तक न्याय व्यवस्था को नई दिशा दी। उन्होंने अनावश्यक हड़तालों पर रोक लगाकर न्यायालयों की कार्यप्रणाली को प्रभावी बनाया।
कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ अधिवक्ता हुमायूँ नईम खान ने किया, जबकि जिला बार के अध्यक्ष नरेन्द्र वर्मा ने इसे मुख्य रूप से संचालित किया। स्व बेअन्त सिंह के पुत्र, सरदार आलोक सिंह और राजा सिंह ने न्यायमूर्ति राजीव सिंह को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। अधिवक्ता दानिश सिद्दीकी ने आगंतुकों का स्वागत किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता, पूर्व अध्यक्षगण और भारी संख्या में अधिवक्तागण एवं न्यायालय कर्मी उपस्थित रहे, जिन्होंने स्व बेअन्त सिंह के जीवन और कार्यों को याद कर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।
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