बाराबंकी के डडियामऊ में घरेलू कलह से तंग आकर महिला ने लगाई फांसी, मासूम बेटियों ने देखा मौत का मंजर
बाराबंकी। शब्द कभी-कभी चुप हो जाते हैं और सवाल आंखों में ठहर जाते हैं। डडियामऊ गांव की घटना भी कुछ ऐसा ही दर्द छोड़ गई है। रविवार की रात प्रियंका सिंह (32) ने ससुराल की दहलीज पर फंदा लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। लेकिन सबसे दिल दहला देने वाला दृश्य यह था कि जब मां की सांसे थम रही थीं, तब उसकी छोटी बेटियां—गौरी (6) और बेबी (3)—एक कोने में खड़ी रो रही थीं, कुछ समझ पाने की उम्र भी नहीं थी उनके पास।
एक चुप्पी जो बहुत कुछ कह गई
गांव के लोग बताते हैं कि प्रियंका और दीपक सिंह की शादी सात साल पहले हुई थी। शुरू के कुछ साल ठीक रहे, लेकिन फिर घरेलू तनाव बढ़ता चला गया। कहासुनी आम बात बन चुकी थी। मायके वालों ने भी कई बार रिश्तों को संभालने की कोशिश की, लेकिन नतीजा नहीं निकला।
घटना वाले दिन भी पति-पत्नी में कहासुनी हुई थी। और फिर... रात के सन्नाटे में एक कमरे से जब बेटियों की चीख निकली, तो पूरा गांव दौड़ा। प्रियंका फांसी के फंदे से लटक रही थी।
बेटियों की चीख और मां की खामोशी
6 साल की गौरी और 3 साल की बेबी—जिनके लिए मां ही दुनिया थी—अब स्तब्ध हैं। न रो पा रही हैं, न कुछ समझ पा रही हैं। गांव की महिलाएं उन्हें गोद में उठाकर चुप कराने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन आंखों में डर और दिल में खालीपन साफ दिखता है।
मायके पक्ष ने लगाए प्रताड़ना के आरोप
प्रियंका के पिता प्रताप नारायण सिंह व माता सुशीला सिंह, जो गोंडा के कटरा बाजार से सूचना पाकर पहुंचे, ने साफ तौर पर दामाद दीपक पर मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बेटी की मौत आत्महत्या नहीं, बल्कि लगातार टूटते भरोसे और सामाजिक उपेक्षा की परिणति है।
पुलिस जांच में जुटी, ससुराल पक्ष चुप
मसौली थाना प्रभारी सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि महिला के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। मृतका के मायके वालों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं और मामले की जांच की जा रही है। ससुराल पक्ष इस समय पुलिस जांच के बीच चुप्पी साधे हुए है।
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